नमस्कार दोस्तों “संघर्ष के मोती” हिंदी कविताओं में आपका स्वागत है|<br />.................................................................................................................................<br />हमारी आज की कविता जो हमारे यूट्यूब चैनल का नाम भी “संघर्ष के मोती” यह कविता हमने श्री अमिताभ बच्चन जी द्वारा सुनाई गई ‘तुम मुझे कब तक रोकोगे’ कविता से प्रेरित होकर लिखी है|<br />यह कविता हमें यह सिखाती है कि हमें कामयाबी संकट के समय से निपट कर ही मिलेगी |<br />बिना संघर्ष के कुछ भी हासिल नहीं होता ,मेहनत करने से ही कामयाबी मिलती है|<br />यह कविता हमें प्रेरणा देती है आज जो कामयाबी सबको नजर आती है लेकिन उसका संघर्ष उसका इतिहास वह भी हमें देखना चाहिए |<br /><br />वो वृक्ष नहीं में, जिसे नदियों ने सिंचा है,<br /><br />तपती मरुभूमि में, हमने जीवन को खींचा है|<br /><br />यूं ही नहीं सजाया ‘सूरमा’, बना नजरों में किसी ने,<br /><br />क्या बताएं!!! किस कदर, हमने खुद को पिसा है<br /><br />वो वृक्ष नहीं में, जिसे नदियों ने सिंचा है||<br /><br />ऐसे नहीं पत्थर को ,मूरत बना कर पूजा किसी ,<br /><br />क्या जानो ! कितनी हथौड़ी - छेनी का उस पर, टिंचा है,<br /><br />वो वृक्ष नहीं में, जिसे नदियों ने सिंचा है|<br /><br />यूं ही नहीं आता रंग सुनहरा हिना का,<br /><br />ना जाने कितना उसे, चक्की के पाटो ने पीसा है,<br /><br />वो वृक्ष नहीं में, जिसे नदियों ने सिंचा है||<br /><br />गिरना उठना चलना, चलते रहना<br /><br />यही जीवन की इबारत, ‘यही जीवन की ऋचा है’,<br /><br />वो वृक्ष नहीं में, जिसे नदियों ने सिंचा है||<br /><br />‘संघर्ष के मोती’ पिरोये हे मेने,<br /><br />जूनून के फितूर से, सजाया बगीचा हे,<br /><br />वो वृक्ष नहीं में, जिसे नदियों ने सिंचा है||<br /><br />यदि आप भी चाहते हैं कि हम आपके बताए हुए विषय पर कविता लिखने का प्रयास करें तो आप कमेंट बॉक्स में आप का विषय जरूर बताएं हम उस पर कविता बनाने का प्रयास करेंगे<br /><br />⇜जितेन्द्र राठौर⇝<br /><br />हिंदी कविताएँ\ संघर्ष के मोती <br /><br />www.हिंदीकविताएँसंघर्षकेमोती.com<br />
